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DIPLOMA IN Physiotherapy

DIPLOMA IN Physiotheropy


डिप्लोमा इन फिजियोथेरेपी पाठ्यकम को उत्तीर्ण करने के उपरान्त प्रशिक्षार्थी फिजियोथेरेपी के माध्यम से विभिन्न रोगो की चिकित्सा करने हेतु सक्षम एवं अधिकृत हो जाता है। आर्थेपैडिक सर्जन, महिला रोग विशेषज्ञ, तन्त्रिका रोग विशेषज्ञ, प्लास्टिक सर्जन, सामान्य चिकित्सक इत्यादि अनेकों रोगो की चिकित्सा में तब तक रोगी को पूर्ण लाभ नहीं दे पाते जब तक कि एक फिजियोथेरेपिस्ट व्यायाम के द्वारा एवं उपलब्ध विभिन्न मशीनों के द्वारा उस रोगी की चिकित्सा में सहयोग न करें। दूसरे शब्दों में कहे तो ऐसे कई रोगों की चिकित्सा फिजियोथेरेपिस्ट की सहायता के बगैर सम्भव नहीं है। धीमे-धीमे शहरों, कस्बों एवं गांव में भी फिजियोथेरेपिस्ट की मांग बढ़ रही है। कुछ प्रमुख रोग जिनकी चिकित्सा में फिजियोथेरेपिस्ट की भूमिका अत्याधिक अहम होती है वे है - लकवा, फैक्चर, गठिया, जोड़ों में दर्द, स्पान्डलाइटिस,स्लिप डिस्क, नसों का दर्द, मांसपेशियों का दर्द, मांसपेशियों में खिचाव एवं खेलकूद में होने वाली चोटें। इण्टरमीडिएट उत्तीर्ण छात्र/छात्रा महज दो वर्ष के पाठ्यकम को लगनपूर्वक समाप्त कर उपरोक्त रोगों की चिकित्सा में योगदान कर सकते है। पाठ्यकम की समाप्ति पर फिजियोथेरेपिस्ट सरकारी एवं निजी चिकित्सालय में रोजगार प्राप्त तो कर ही सकते हैं, साथ डी अपना निजी क्जनीनिक भी शुरू कर सकते है । हमारे संस्थान में समस्त आधुनिक उपकरणों से सुसज्जित विशाल फिजिओयैरेपी क्लीनिक उपलब्ध हैं, जिसमें प्रशिक्षार्थी रोगियों पर व्यवहारिक चिकित्सीय ज्ञान प्राप्त करते हैं।